अवनीश यादव की कविताएँ

अवनीश यादव कवि इसीलिए औरों से अलहदा होता है कि उसकी सोच प्रायः परम्परागत सोच से अलग होती है. समय के साथ-साथ व्यक्तियों और वस्तुओं को देखने की उसकी दृष्टि में वह संवेदनशीलता होती है जो अन्यत्र नदारद दिखायी पड़ती है. अवनीश यादव ऐसे ही युवा कवि हैं जिसकी झलक उनकी कविताओं में दिखायी पड़ती है. कविता के क्षेत्र में अवनीश के ये शुरुआती कदम हैं और इन कदमों से यह उम्मीद की जा सकती है कि ये कदम दूर तक का सफ़र तय करेंगे. इस युवा कवि का हिन्दी कविता की दुनिया में स्वागत करते हुए आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं अवनीश की कुछ नयी कविताएँ. अवनीश यादव की कविताएँ संतुष्टि का ताला अक्सर घर से निकलते हुए अपनी संतुष्टि के लिए हम जड़ देते है , दरवाजे पर ताला बात यहीं नहीं ख़त्म होती पूरी संतुष्टि के लिए , एक दो बार ताले को जब तक खींच नहीं लेते है दरवाजे से हिलते तक नहीं फ़िर चाबी को बटुये में डाल कर निश्चिन्त हो जाते है। भरे चौराहे पर खरीदारी का दौर शुरू होता है कभी इस दुकान पर कभी उस दुकान पर इसी बीच कभी कभार याद आ जाता है कमरा , हा! ...