प्रमोद धिताल की कविताएँ
प्रमोद धिताल आज हमारी भौतिक जरूरतें इस कदर बढ़ गयी हैं कि हम मानवता की आधारभूत संकल्पनाएँ तक भुलाते जा रहे हैं । ऐसे समय में नेपाल के कवि प्रमोद धिताल एक चेतस कवि हैं जो अपनी कविताओं में इसकी खुली अभिव्यक्ति करते हैं । इसी को व्यक्त करते हुए प्रमोद कहते हैं - 'अब तो दोस्ती का अर्थ यहाँ धोखा है/ रिश्ते का अर्थ है स्वार्थ/ इस समय मै नही बनूँगा पागल/ बिल्कुल एक सचेत आदमी का जिऊँगा जीवन।' पहली बार पर प्रस्तुत है प्रमोद की ऐसी ही भावभूमि वाली कुछ नयी कविताएँ । प्रमोद धिताल की कविताएँ 1. एक सचेत आदमी की आत्मस्वीकृति जब तक था पागल मैं कुछ ब ची थी संवेदना कुछ थी मा सू मियत बेचैन होता था कुछ सवा लों पर बह जा ते थे आँ सू कुछ दुर्घटना ओं पर समाज के कुछ मुद्दे अपने मुद्दे बन जाते थे आम लोगों के दुःख का हिस्सा अपना हिस्सा बन जाता था जब तक बचा हुआ था कुछ पागलपन तब तक कुछ चीजें भी बचे हुई थीं मेरे अन्दर। अब सचेत हो गया हूँ मैं रिश्ते के नाम पर धोखा दोस्ती के नाम पर इस्तेमाल अगर ये दो बा तें नहीं हैं आ...