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हीरा लाल की कविताएं

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  हीरा लाल  व्यक्ति है तो उसके साथ उसकी चिंताएं भी हैं। लेकिन यह चिंताएं अलग अलग मनुष्यों में अलग अलग समय में अलग अलग चेहरे वाली होती हैं। एक आम आदमी की चिन्ता सामान्य तौर पर रोटी, कपड़ा, मकान ही होता है। किसी भी संवेदनशील कवि का सरोकार सामान्य तौर पर आम जनता की चिंताओं से जुड़ा होता है। हीरा लाल ऐसे ही कवि थे जिनका सरोकार आम लोगों से था। खुद हीरा लाल भी छल छद्म से दूर थे। तीन पांच की प्रवृत्ति से दूर थे। जीवन भर अपने जीवन के साथ ही प्रयोग करते रहे। अलग बात है अधिकांश में असफल रहे। कविता के साथ भी उन्होंने कई प्रयोग किए। यह जानते हुए कि कवि कर्म कठिन कर्म है, अपने रोजगार के समय में से कुछ समय काट कर कविता को देते रहे जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी। आखिरकार जनवरी 2024 में वे बिल्कुल चुपके से प्रयाण कर गए। विडंबना देखिए कि उनके मौत की खबर लगभग साढ़े सात महीने बाद इलाहाबाद के साहित्यिक समाज को पता चल पाई। प्यारे कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आज हम पहली बार पर उनकी कुछ कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं हीरा लाल की कविताएं जो उनके एकमात्र कविता संग्रह '

सुरेन्द्र प्रजापति की कहानी 'एक और सुबह'

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  सुरेन्द्र प्रजापति पारिवारिकता की भावना ने मनुष्य को सही मायनों में मनुष्य बनाया। समाज की इस सबसे छोटी इकाई के जरिए मनुष्य अपने विभिन्न पारिवारिक सदस्यों के साथ अपना व्यवहार सुनिश्चित करता है। यह पारिवारिकता उसमें जीवन का उल्लास जगाती है। मनुष्य जब हताशा के क्षणों का सामना कर रहा होता है तब भी वह इस पारिवारिकता के सहारे ही निराशा के समुद्र पर विजय प्राप्त करने की कोशिश करता है और प्रायः सफलता भी प्राप्त करता है। पारिवारिकता की भावना मनुष्य की कल्पनात्मकता को भी एक नई दिशा प्रदान करती है। सुरेन्द्र प्रजापति ने अपनी कहानी एक और सुबह इसी वितान पर रची है। जेल में बंद एक सामान्य व्यक्ति अपने घर परिवार के बारे में सोचता हुआ समय गुजार देता है। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं सुरेन्द्र प्रजापति की कहानी 'एक और सुबह'। 'एक और सुबह'                             सुरेन्द्र प्रजापति  मैं राष्ट्रीय कारागार में विचाराधीन बंदी हूँ। अभी कुछ ही दिन पहले एक फौजदारी मुकदमे में आया हूँ। एक जमीन के विवाद में अपने  ही बिरादरी के लोगों से मारपीट हुई और मैं गिरफ्तार कर लिया गया। दो चार दिन ह

अवन्तिका राय की कविताएं

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  अवन्तिका राय छोटी कविताएं लिखना हर कवि के लिए एक चुनौती की तरह होती है। कम से कम शब्दों में अपनी बात को रख देना आसान नहीं होता। यह दौर विकट वाचालता का है। एक अजीब विडम्बना हमारे इस समय की है। जिसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है वह ज्यादा बोलता दिखाई पड़ता है। नींद में भी बर्राता रहता है। जिसके पास बोलने के लिए बहुत सी बातें हैं वह खामोशी अख्तियार कर लेता है। कवि अवन्तिका राय जीवन के उन सूक्ष्म अनुभूतियों के कवि हैं जो प्रायः अलक्षित रह जाती हैं। बदलाव के बावजूद गांवों और छोटे शहरों में अभी भी जीवंतता बनी हुई है। यहां पर छोटे छोटे अवसरों पर जीवन का उल्लास मनाते लोग हैं। कवि की नजर उस हुडुका पर है जो आमतौर पर आभिजात्य संगीत प्रस्तुतियों से बाहर रहता है और इसीलिए प्रायः अलक्षित भी रहता है। लेकिन जब बजता है तो जैसे प्रकृति का तिनका तिनका थिरकने लगता है। यह उस जन सामान्य की आवाज बन कर निकलता है जो हमेशा परिधि के बाहर रहने के लिए अभिशप्त है। लेकिन यह जो आम है किसी की परवाह कहां करता है। यह हुडुका बजता है और शीघ्र ही समूचे परिदृश्य में छा जाता है। वही कवि इस हुडुका को काव्य परिदृश्य में  ला

संतोष पटेल की कविताएं

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  संतोष पटेल परिचय डॉ संतोष पटेल जन्म - 4 मार्च, 1974, बेतिया, बिहार पिता : डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना माता: श्रीमती चिंता देवी शिक्षा : पीएच-डी (विषय: भोजपुरी साहित्य में दलित चेतना के स्वर, इग्नू नई दिल्ली) अंग्रेजी,  हिंदी, भोजपुरी, बुद्धिज्म और ट्रांसलेशन स्टडीज में एम. ए., अंग्रेजी में एम. फिल.  संपादक - भोजपुरी ज़िन्दगी,  साथ ही पूर्वांकुर (हिंदी - भोजपुरी),  डिफेंडर (हिंदी- इंग्लिश-  भोजपुरी), रियल वाच (हिंदी), उपासना समय (हिंदी) और झेलम न्यूज़ के सम्पादन से भी जुड़े हुए हैं। भोजपुरी कविताएँ एम. ए. (भोजपुरी पाठ्यक्रम, जे पी विश्वविद्यालय) में चयनित " भोजपुरी गद्य-पद्य संग्रह-संपादन - प्रो शत्रुघ्न कुमार  सदस्य - भोजपुरी सर्टिफिकेट कोर्स निर्माण समिति, इग्नू, दिल्ली। प्रकाशन -  भोजपुरी  भोर भिनुसार,  अदहन, अछरंग (भोजपुरी कविता संग्रह) और 'अपने देसवा निक बा' भोजपुरी कहानी संकलन हिंदी  काव्य संग्रह शब्दों की छाँव में,  जारी है लड़ाई, नो क्लीन चिट, कारक के चिन्ह, अमीबा आलोचना छायावाद के प्रवर्तक ( हिंदी आलोचना) कई एक साझा संग्रहों में कविताएं शामिल। साथ ही कई  कविताओं का अंग्