हीरा लाल की कविताएं
हीरा लाल व्यक्ति है तो उसके साथ उसकी चिंताएं भी हैं। लेकिन यह चिंताएं अलग अलग मनुष्यों में अलग अलग समय में अलग अलग चेहरे वाली होती हैं। एक आम आदमी की चिन्ता सामान्य तौर पर रोटी, कपड़ा, मकान ही होता है। किसी भी संवेदनशील कवि का सरोकार सामान्य तौर पर आम जनता की चिंताओं से जुड़ा होता है। हीरा लाल ऐसे ही कवि थे जिनका सरोकार आम लोगों से था। खुद हीरा लाल भी छल छद्म से दूर थे। तीन पांच की प्रवृत्ति से दूर थे। जीवन भर अपने जीवन के साथ ही प्रयोग करते रहे। अलग बात है अधिकांश में असफल रहे। कविता के साथ भी उन्होंने कई प्रयोग किए। यह जानते हुए कि कवि कर्म कठिन कर्म है, अपने रोजगार के समय में से कुछ समय काट कर कविता को देते रहे जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी। आखिरकार जनवरी 2024 में वे बिल्कुल चुपके से प्रयाण कर गए। विडंबना देखिए कि उनके मौत की खबर लगभग साढ़े सात महीने बाद इलाहाबाद के साहित्यिक समाज को पता चल पाई। प्यारे कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आज हम पहली बार पर उनकी कुछ कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं हीरा लाल की कविताएं जो उनके एकमात्र कविता संग्रह '