अनुप्रिया के रेखाचित्र
अनुप्रिया |
परिचय
नाम-अनुप्रिया
जन्म स्थान -सुपौल, बिहार
शिक्षा-बी ए
रूचि-कविता लेखन। पठन -पाठन
प्रकाशन -कथाक्रम. परिकथा, वागर्थ, कादम्बिनी, संवदिया, युद्धरत आम आदमी, प्रगतिशील आकल्प, शोध दिशा, विपाशा, श्वेत पत्र, नेशनल दुनिया, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, संस्कार -सुगंध, अक्षर पर्व, हरिगंधा, दूसरी परंपरा, लमही, हाशिये की आवाज आदि पत्र-पत्रिकाओं में कवितायेँ निरंतर प्रकाशित।
नंदन, स्नेह, बाल भारती, जनसत्ता, नन्हे सम्राट, जनसंदेश टाइम्स, नेशनल दुनिया, बाल भास्कर, साहित्य अमृत, बाल वाटिका, द्वीप लहरी, बाल बिगुल में बाल कवितायेँ प्रकाशित।
संवदिया, विपाशा, ये उदास चेहरे, मधुमती, नया ज्ञानोदय, साहित्य अमृत, अनुसिरजण, हाशिये की आवाज़, दूर्वा दल के जख्म और अंजुरी भर अक्षर आदि पत्रिकाओं में रेखा-चित्र प्रकाशित।
रेखाचित्र अपने आप में एक स्वतन्त्र विधा है। इसके बावजूद पत्र-पत्रिकाएँ अपनी खाली जगहें भरने के लिए इसे इस्तेमाल करती हैं। एक वह विधा है जो
पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के बावजूद लगभग उपेक्षित
रहती है। लेकिन गौर से देखने पर ये रेखाचित्र स्वयं में बहुत कुछ कह
रहे होते हैं। युवा कवयित्रियों में अनुप्रिया का नाम सुपरिचित है। इधर जब
मैंने अनुप्रिया से पहली बार के लिए कविताओं हेतु सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया
कि आजकल वे कविताएँ नहीं लिख पा रहीं बल्कि रेखाचित्र बना रही हैं। उनके रेखाचित्र
इधर विविध पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छपते रहे हैं। इनके रेखाचित्रों में स्त्री जीवन की विडंबनाओं को गहराई तक महसूस किया जा सकता है। वाकई जिसे उन्होंने अपने रेखाचित्रों के माध्यम से बड़ी सरलता और बेबाकी से कह डाला है उसे कविता के शिल्प में कहना संभवतः बहुत कठिन होता। यहीं पर विधाओं की अपनी-अपनी सीमाओं और अपनी अपनी ताकत का पता चलता है। पहली बार के लिए अनुप्रिया ने अपने
कुछ रेखाचित्र उपलब्ध कराए हैं। आइए आज देखते-पढ़ते-समझने की कोशिश करते हैं अनुप्रिया के इन
रेखाचित्रों को।
संपर्क-
अनुप्रिया
श्री चैतन्य योग
गली नंबर -27,फ्लैट नंबर-817
चौथी मंजिल ,डी डी ए फ्लैट्स
मदनगीर ,नयी दिल्ली
पिन-110062
श्री चैतन्य योग
गली नंबर -27,फ्लैट नंबर-817
चौथी मंजिल ,डी डी ए फ्लैट्स
मदनगीर ,नयी दिल्ली
पिन-110062
अति सुन्दर, यह अच्छा किया अनु जी, बधाई ...............
जवाब देंहटाएंएक एक चित्र हजार हजार कहानी कह रहा है ..... बहुत सुंदर अनु जी
जवाब देंहटाएंअनुप्रिया की हर रेखा चित्र खुद में कविता है ..........बोलती हुई प्रतीत होती है .........बेहद सुन्दर !! बधाई और शुभकामनायें मित्र !!
जवाब देंहटाएंअनुप्रिया जी की रेखाओं में बरबस मन को बांध लेने की अद्भुत क्षमता है।
जवाब देंहटाएंवे मौन रह कर भी बोलती हैं। अंतर्मन की परतें टटोलती हैं।
कभी कभी तो बरबस पलकों में नमी तैर जाती है।
बधाई ! शुभकामनाएं। ........... Rajesh Raj