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डी. एम. मिश्र की ग़ज़लें

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डी. एम. मिश्र       परिचय पूरा नाम - डॉ डींगुर मल मिश्र  जन्म - 15 अक्तूबर ’ 1950   शिक्षा – एम. एससी.   पीएच. डी               सम्प्रति - सेवानिवृत्त / स्वतंत्र लेखन             प्रकाशित साहित्य -                                         1- देश की प्रतिष्ठित पत्र - पत्रिकाओं में 400 से अधिक गीत , ग़ज़ल , कविता व लेख प्रकाशित।        2 - प्रकाशित पुस्तकें - 6 पुस्‍तकें कविता की   और 3 गजल की प्रकाशित।   दुष्यन्त कुमार ने हिन्दी ग़ज़ल की जिस परम्परा को आम जनता की जिन्दगी और उसकी जद्दोजहद से जोड़ा था उसे बाद के ग़ज़लकारों ने और आगे बढाने का सराहनीय प्रयास किया है. इध...

सर्वेन्द्र विक्रम की कविताएँ

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सर्वेन्द्र विक्रम आज जब परिदृश्य इतना धुंधला हो चुका है कि चुप्पी ही हमारे जीवन का सरोकार बनती जा रही है ऐसे में मार्टिन लूथर किंग की यह पंक्ति याद आती हैं - 'हमारा जीवन उसी दिन अन्त की ओर बढ़ने लगता है जिस दिन हम महत्वपूर्ण विषयों पर चुप्पी साध लेते हैं.' आम आदमी के साथ-साथ साहित्य और संस्कृति से जुड़े लोग भी आज के समय में खुद को निरीह पा रहे हैं. लेकिन यह साहित्य और संस्कृति ही है जो प्रतिरोध की परम्परा को जिन्दा रखे हुए है. इसीलिए साहित्यकार युग युगांतर तक जीवित रहता है. कवि सर्वेन्द्र विक्रम के यहाँ जीवन की गहनतम अनुभूतियाँ हैं. साथ ही उनके यहाँ मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ प्रतिरोध का तेवर भी अपने कबीराना अंदाज में कायम है. आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं ऐसे ही अलहदा अंदाज और स्वर वाले कवि सर्वेन्द्र विक्रम की कविताएँ. सर्वेन्द्र विक्रम की कविताएँ     आलमारी    उसके ढहाये जाने की पूर्वसंध्या पर एक बार फिर सब इकठ्ठा थे यह कोई पवित्र ढांचा नहीं घर था जहां हमारा बचपन बीता दीवार में बनी उस आलमारी में मैं जैसे-तैसे खड़ी हो पायी याद आया जब म...