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सोनी पाण्डेय के कविता संग्रह पर राहुल देव की समीक्षा

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सोनी पाण्डेय युवा कवयित्री सोनी की कविताएँ लोक संवेदनाओं से जुड़ी हुईं हैं । उनकी कविताओं में अनुभवजनित जीवन दिखायी पड़ता है । यही नहीं सोनी समकालीन समय के विडम्बनाओं से रु-ब-रु होते हुए उसे अपनी कविता का विषय बनाने का साहस भी करती हैं । 'बदनाम औरतें' इसी तरह की कविता है जो इस समय के तमाम सवालों से टकराने का साहस करती है । सोनी पाण्डेय का पहला कविता संग्रह 'स्त्री मन की खुलती गिरहें' पिछले वर्ष ही प्रकाशित हुआ है । इस संग्रह पर एक समीक्षा लिखी है युवा कवि राहुल देव ने । तो आइए पढ़ते हैं राहुल देव की यह समीक्षा ।             स्त्री मन की खुलती गिरहें राहुल देव समकालीन कविता समय में कई सारे स्त्री स्वर एक साथ सृजनरत हैं। डॉ सोनी पाण्डेय भी उनमें शामिल हो रही हैं। वह एक सक्रिय युवा कवयित्री और संपादक हैं। ‘मन की खुलती गिरहें’ उनके पहला कविता संग्रह का नाम है जिसमें उनकी कुल 61 कविताएँ संग्रहित हैं। संग्रह की पहली कविता से ही कवयित्री अपने पक्ष को स्पष्ट कर देती है। चार भागों में लिखित ‘बदनाम औरतें’ शीर्षक यह कविता अपने तेवरों मे...

प्रदीप त्रिपाठी का आलेख 'कल्‍पना' की साहित्यिक जमीन

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प्रदीप त्रिपाठी जन्म-   7 जुलाई , 1992 डेली न्यूज ऐक्टि विस्ट में साप्ताहिक लेखन शैक्षणिक योग्यता- एम.ए. हिन्दी (तुलनात्मक सा.) , एम. फिल. हिन्दी ( तुलनात्मक साहित्य ) ,  लोक-साहित्य , एवं कविता-लेखन में विशेष रुचि   विभिन्न चर्चित पत्र-पत्रिकाओं (दस्तावेज़ , अंतिम जन , परिकथा , कल के लिए , वर्तमान साहित्य , अलाव , नवभारत टाइम्स , डेली न्यूज़ ऐक्टिविस्ट आदि) में शोध-आलेख एवं कविताएं प्रकाशित     गैर हिन्दी भाषी क्षेत्र से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ' कल्पना ' का हिन्दी साहित्य में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। एक दौर में इस पत्रिका ने हिन्दी साहित्य    को अनेक महत्वपूर्ण रचनाकार प्रदान किए। कल्पना में छपना साहित्यिक जगत में मान्यता प्राप्त रचनाकार का दर्जा प्राप्त करना होता था। कहानीकार मार्कंडेय कल्पना से जुड़े अनेक किस्से सुनाया करते थे। कल्पना के सम्पादक बदरी विशाल पित्ती से उनके सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध आजीवन बने रहे। इसी का परिणाम था कि आगे चल कर पित्ती साहब ने मार्कंडेय को ‘ कथा ’ जैसी महत्वपूर्ण पत्रिक...