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सीमा आज़ाद

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जन्म- ५-८-१९७५ शिक्षा- एम. ए मनोविज्ञान इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद कार्य-  दस्तक नये समय की, हिन्दी द्वैमासिक पत्रिका का सम्पादन मानवाधिकार संगठन पी. यु. सी. एल की संगठन सचिव निवास- इलाहाबाद किसान और मजदूर आज भी भारत के सर्वाधिक उपेक्षित वर्ग हैं। ये ही वे वर्ग हैं जिनके हाथों से भारत के विकास की लकीरें खींची गयी हैं। खदान मजदूर ऐसे ही वर्ग हैं जो आजीविका की तलाश में एक बार जब इस धंधे में लगते हैं तो फिर एक अमानवीय त्रासदी का उनका अंतहीन दौर शुरू हो जाता है। सीमा आजाद ने इनकी जिंदगी को बिलकुल करीब से देखने का प्रयास किया है। साथ ही खनन माफिया के दुष्चक्रों का भी उद्घाटन किया है । इलाहाबाद के पास स्थित शंकरगढ़ के खदान मजदूरों के जीवन पर आधारित यह आलेख आपके लिए प्रस्तुत है।       खदान मजदूर: पैरों में पड़ी आर्थिक बेडि़यां इलाहाबाद शहर को देखकर यह अन्दाजा लगाना मुश्किल है कि इसके मात्र पचास किमी की दूरी पर एक ऐसा क्षेत्र है , जो इसका हिस्सा है पर जहां विकास की पहली किरन भी आज तक नही पहुंची है। कोल आदिवासी बहुल यह इलाका पत्थर खदान...

रमाकान्त राय

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   दंगे किसी भी समाज और राष्ट्र के लिए भयावह त्रासदी की तरह होते हैं। दुर्भाग्यवश भारत आजादी के बहुत पहले से लेकर आज तक इस दंश को लगातार भुगतता रहा है। इन दंगों में इधर एक ख़ास प्रवृत्ति दिखाई पडी है - महिलाओं की इनमें सक्रिय भूमिका। युवा साथी रमाकांत राय ने अपने इस सुविचारित आलेख में इस प्रवृत्ति पर तर्कपूर्ण ढंग से प्रकाश डाला है। पहली बार के पाठकों के लिए प्रस्तुत है रमाकांत का यह आलेख 'साम्प्रदायिकता, दंगे और महिलाओं की बदलती भूमिका।'                      साम्प्रदायिकता, दंगे और महिलाओं की बदलती भूमिका उत्तर-आधुनिकता के दर्शन ने तमाम कुरूपताओं के मध्य जो प्रशंसनीय कार्य किया है वह है हाशिए का बहस तलब बनाना। दलित-विमर्श और स्त्री-विमर्श हिन्दी में इसी दर्शन की देन हैं जो कभी हाशिए के मुद्दे कहे जाते थे। भूमण्डलीकरण ने उत्तर-आधुनिकता के दर्शन को मजबूती से स्थापित किया है। भारत में 1991 से शुरू हुए उदारीकरण ने भूमण्डलीकरण के लिए अनुकूल वातावरण तैयार...

चैतन्य नागर

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  आम तौर पर जहां लोग देश और दुनिया के तमाम राजनीतिक, सामाजिक और व्यक्तिगत संकटों का कारण और समाधान बाहरी तरीकों और माध्यमों में ढूंढते हैं, वहीं चैतन्य इनकी मनौवैज्ञानिक जड़ों और उपचारों की पड़ताल में लगे रहते हैं। उनका मानना है कि सार्वजनिक बदलाव की कोई भी कोशिश तभी कामयाब होगी जबकि वह बदलाव व्यक्ति के स्तर पर हो, और व्यक्ति में परिवर्तन के लिए बीजों का रोपण प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर ही किया जाए। वह मौजूदा शिक्षा प्रणाली को आज की अधिकतर समस्याओं का जनक मानते हैं। चैतन्य हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखते हैं। कविता उन्हें भाती है और जीवन के मूल प्रश्नों पर जगह-जगह होने वाली रिट्रीट, गैदरिंग में कोऑर्डिनेटर, वक्ता की हैसियत से भाग लेते हैं । पत्रकार, शिक्षक, प्रकाशक रह चुकने के बाद आजकल चैतन्य नागर कृष्णमूर्ति फाउंडेशन इंडिया, राजघाट, वाराणसी के स्टडी सेंटर के ज्वाइंट हेड हैं। वह जे. कृष्णमूर्ति प्रज्ञा परिषद के सदस्य, अनुवाद और प्रकाशन प्रकोष्ठ के प्रभारी, और 'स्वयं से संवाद' न्यूजलेटर के संपादक भी हैं ।   प्रेम एक अनुभूत सत्य होता है। प्रेम पर बेहतर कवित...

अमीर चन्द वैश्य

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आज बीस अगस्त को कवि त्रिलोचन का जन्म दिन है। त्रिलोचन जी ने हिन्दी में सॉनेट लिखने की परम्परा की शुरुआत की। त्रिलोचन के इस सॉनेट विधा पर वरिष्ठ आलोचक अमीर चन्द जी ने एक आलेख लिखा है जो पहली बार के पाठकों के लिए त्रिलोचन के जन्मदिन पर विशेष रूप से प्रस्तुत है ।      त्रिलोचन के कपोत-कपोती                                       -        ‘हिन्दी की प्रगतिशील कविता की बृहत् त्रयी' केदारनाथ अग्रवाल- नागार्जुन-त्रिलोचन से सभी हिन्दी काव्य-प्रेमी परिचित हैं। लेकिन आज भी बहुत से हिन्दी अध्यापक और नई पीढ़ी के कवि त्रिलोचन के साहित्यिक योगदान से शायद पूर्णतया सुपरिचित नहीं होंगे।         यदि त्रिलोचन शास्त्री (20 अगस्त, 1917- 09 दिसम्बर 2007) आज हमारे बीच होते तो वह अपने जीवन के सक्रिय 96 साल पूरे कर लिए होते। उनका सबसे महान योगदान यह है कि उन्होंने स्वयं भारतीय काव्य-परम्परा से...

अमीर चंद वैश्य

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वरिष्ठ आलोचक अमीर चन्द वैश्य पहली बार के लिए हर महीने एक कविता संग्रह पर समीक्षा लिखेंगे।  इस कड़ी की शुरुआत हम पहले ही कर चुके हैं, जिसमें अभी तक आपने सौरव राय और अशोक तिवारी के कविता संग्रहों पर अमीर जी की समीक्षा पढ़ चुके हैं। इसी क्रम में इस महीने के हमारे उल्लेख्य युवा कवि हैं नित्यानन्द गायेन। नित्यानन्द का कल जन्म दिन भी है। नित्यानन्द के जन्म दिन की पूर्व संध्या पर इस समीक्षा को प्रस्तुत करते हुए हम उन्हें 'पहली बार' ब्लॉग परिवार की तरफ से जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दे रहे हैं।        युवा क वि  नित्यानन्द गायेन के हालिया प्रकाशित कविता संग्रह 'अपने हिस्से का प्रेम' पर  वरिष्ठ आलोचक अमीर चंद वैश्य ने एक समीक्षा लिखी  है। प्रस्तुत है यह समीक्षा।      लोकधर्मी कविता के प्रति निष्ठावान सम्प्रति हिंदी काव्य जगत में कई पीढ़ियो के कवि अपने –अपने रचनाक्रम में संलग्न हैं। अनेक वरिष्ठ कवि तो ऐसे हैं जो अपने पद –प्रतिष्ठा और पुरस्कार की उपलब्धि के लिए नख-दंत विहीन रचनाएँ रच  रहे हैं। सत्ता...