संदेश

लोर्का: जातीय लोकधर्मी कवि

चित्र
जनवरी 2013 से पहली बार पर हमने 'विश्व के लोकधर्मी कवियों की श्रृंखला' आरम्भ की थी। इसे हमारे आग्रह पर वरिष्ठ कवि विजेन्द्र जी ने 'पहली बार' के पाठकों के लिए लिखा है। इस श्रृंखला के अंतर्गत आप वाल्ट व्हिटमैन, बाई जुई, मायकोव्स्की एवं नाजिम हिकमत को पहले ही पढ़ चुके हैं। इस बार प्रस्तुत है विश्वविख्यात कवि लोर्का पर आलेख ।   लोर्का: जातीय लोकधर्मी कवि  विजेन्द्र        स्पानी भाषा के विश्व विख्यात जातीय लोकधर्मी कवि फैडिरिगो गार्सिया लोर्का (1899 -1936) की उन्हीं के देश में उनकी निर्मम हत्या की गई। लोर्का, ब्रेख्त, नेरुदा, नाज़िम हिकमत तथा माइकोव्स्की आदि कवियों के कथ्य तथा रूप दोनों में भिन्न कवि हैं। कहना न होगा कि लेार्का की ऐतिहासिक स्थितियाँ ठीक वैसी है जैसी ब्रेख्त या नेरुदा की। 1930 का दशक योरुप या कहें पूरी दुनिया के लिये बड़े भयावह संकट का समय है। तीसरे दशक के प्रारंभ में चारों तरफ एक अराजकता का महाहौल था। विध्वंस की कारुणिक चीखें थी। महाविपत्ति तथा अनर्थ का जयघोष सुनाई पड़ रहा था। डव्ल्यू एच आडिन की एक कविता में ...

लीना मल्होत्रा रॉव

चित्र
जन्म तिथि व स्थान   ३ अक्तूबर , गुडगाँव   हँस , वसुधा ,   समकालीन भारतीय साहित्य ,  प्रतिलिपि , पाखी , परिकथा , शिखर , हरियाणा   साहित्य अकेडमी की पत्रिका हरिगंधा , पब्लिक एजेंडा ,   कल के लिए , स्त्रीकाल , पर्वत राग ,  अलाव , अपनी माटी ,  जनसंदेश , दैनिक जागरण , नवभारत , जनवाणी अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाये प्रकाशित . कविता   संग्रह -   ' मेरी यात्रा का ज़रूरी सामान ' बोधि प्रकाशन , जयपुर   से प्रकाशित   संग्रह की समीक्षाएं राष्ट्रीय स्तर के    पत्र   पत्रिकाओं में छपी है .  सम्मान -   युवा कविता सम्मान , २०११ अचलेश्वर महादेव संस्था , सोनभद्र . हेमंत स्मृति कविता सम्मान २० १ २ सम्प्रति - सरकारी नौकरी व स्वाध्याय   लीना की कविताओं में स्त्री जीवन की मुश्किलें अपने सहज रूप में प्रतिबिंबित हुई हैं। जैसे कि स्त्री अभिशप्त हो आजीवन दुखों को झेलने के लिए। लीना जब यह कहती हैं कि 'मैं वह हर लड़की हूँ जो आजकल आईना ...