अविनाश मिश्र की कहानी जहाँ जहाँ गया

अविनाश मिश्र अविनाश मिश्र मूलतः कवि हैं। अन्य विधाओं में लिखते हुए भी उनका कवि वहां अपने अंदाज में ही मौजूद रहता है। वे अपने लेखन से कुछ नया जोड़ने की सलाहियत रखते हैं।। हाल ही में अविनाश का 'वर्षावास' नाम से नया उपन्यास आया है। इस उपन्यास की भाषा अपने किस्म की अलहदा भाषा है। अपने समकालीनों से भी बिलकुल अलग। शिल्प के तौर पर भी यह एक नया प्रयोग है। पंक्ति दर पंक्ति चिन्तन से भरपूर। यह उपन्यास उन विरोधाभासों को रेखांकित करता है जो हमारे सभ्य समाज की तथाकथित सभ्यता की पोल खोल कर रख देता है। अविनाश के एक वाक्य से इसकी बानगी मिल जाती है 'संकट में श्रम चाहें जिसका हो, अन्ततः श्रेष्ठ के ही काम आता है।' इसी उपन्यास का एक अंश कहानी के रूप में इंडिया टुडे की साहित्य वार्षिकी में प्रकाशित हुआ था जिसे आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं अविनाश मिश्र की कहानी : 'जहां जहां गया'। जहाँ जहाँ गया अविनाश मिश्र मैं क्या था? मेरे पास क्या था? ...