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सुप्रिया पाठक का आलेख 'अंबेडकर एवं स्त्री प्रश्न'

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भीमराव अम्बेडकर ने हिन्दू समाज की रूढ़ियों को तोड़ने के लिए आजीवन कार्य किया। इस क्रम में उन्होंने  समाज के अस्पृश्य, उपेक्षित तथा सदियों से सामाजिक शोषण से संत्रस्त दलित जाति को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य तो किया ही महिलाओं की मुक्ति के लिए भी प्रयास भी किए। वे जानते थे कि आधी आबादी की स्थिति में सुधार लाए बिना बेहतर समाज की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती।  सुप्रिया पाठक ने  जेंडर अध्ययन श्रृंखला के अन्तर्गत अम्बेडकर के उस चिन्तन पर विचार किया है जिसके अन्तर्गत उन्होंने स्त्री मुद्दों पर बात किया है। आज अम्बेडकर जयंती है। उनकी स्मृति को नमन करते हुए आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं  सुप्रिया पाठक का आलेख 'अंबेडकर एवं स्त्री प्रश्न'।                         'अंबेडकर एवं स्त्री प्रश्न' सुप्रिया पाठक भारतीय संदर्भ में जब भी समाज में व्याप्त जाति, वर्ग एवं जेंडर के स्तर पर व्याप्त असमानताओं और उनमें सुधार संबंधी मुद्दों पर चिंतन हो रहा हो तो डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारो...

प्रदीप्त प्रीत की कविताएं

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प्रदीप्त प्रीत  विधाओं में परस्पर आवाजाही की एक अलग परम्परा रही है। दो अलग अलग विधाओं में काम करते हुए उसे साध लेना आसान काम नहीं होता। लेकिन प्रदीप्त प्रीत ने अपनी कविताओं में यह सम्भव कर दिखाया है। प्रदीप्त रंगमंच से जुड़े हुए हैं। मूलतः कवि हैं। इसलिए उनकी कविताओं में संवादात्मक अभिव्यक्ति प्रायः दिखाई पड़ती है। यह कवि का हुनर है कि संवाद को कविता का अभिन्न अंग बना देता है। कवि अपनी बात को पुरजोर तरीके से कहने के लिए व्यंग्य का सहारा लेता है। यह व्यंग्य कल्पित नहीं बल्कि हमारे समाज में प्रचलित वह कुरीति है जिससे ऊपर से नीचे तक सब परिचित हैं लेकिन उसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। आज भले ही हम स्वयं को विश्व गुरु कह कर अपनी पीठ खुद ठोक लें लेकिन ज्ञान की बात जब भी आती है वैश्विक स्तर से हमारे शैक्षणिक प्रतिष्ठान कोसों दूर रहते हैं। यह बात सुनने में भले ही तल्ख लगे लेकिन यह हकीकत है कि हमारे यहां जो शोध होते हैं उसमें मौलिकता के नाम पर कुछ होता ही नहीं। मौलिकता के अभाव में ये शोध कुछ भी नया जोड़ पाने में नाकामयाब रहते हैं। हाल ही में  सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट  ने स...