भरत प्रसाद
भरत प्रसाद का जन्म उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर जिले के हरपुर नामक गाँव में २५ जनवरी १९७० को हुआ. इन्होने १९९४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी ए किया. फिर जे एन यू से हिंदी साहित्य में एम ए किया. जे एन यू से ही 'भूरी भूरी खाक धूल (काव्य संग्रह) में मुक्तिबोध की युग चेतना' विषय पर इन्होने १९९८ में एम फिल. और २०११ में 'समकालीन हिंदी कविता में अभिव्यक्त समाज और संस्कृति' पर अपनी पी एच-डी पूरी किया. पुस्तकें- १-'और फिर एक दिन' (कहानी संग्रह), २००४ २-'देशी पहाड़ परदेशी लोग' (लेख संग्रह) २००७ ३-'एक पेड़ की आत्मकथा' (काव्य संग्रह) २००९ ४-'सृजन की २१वी सदी' (लेख संग्रह) २०११ दो वर्षों तक अनियतकालिक साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य वार्ता ' का संपादन किया. परिकथा में तानाबाना कलम का नियमित रूप से लेखन. भरत प्रसाद हमारे समय के ऐसे रचनाकार हैं जिन्होंने प्रायः हर विधा में खुद को आजमाया है. 'पान सुपारी' भरत की नवीनतम लम्बी कविता है जिसमें एक समय और एक स्थान का जीवन है. समय है २१वी सदी और स्थान है-पूर्वोत्तर. इस कविता में...