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विनोद शाही का आलेख 'मिथक से इतिहास तक'

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  डी. डी.  कोसांबी   इतिहास साक्ष्यों के आधार पर ही आगे बढ़ता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि उस समय के इतिहास के बारे में कैसे जाना जाए, जिसके लिए कोई आधारभूत स्रोत ही उपलब्ध नहीं हैं। डी. डी. कोसांबी ने इसके लिए एक नई युक्ति निकाली और उन मिथकों के पास गए जिसकी हमारी भारतीय धार्मिक परम्परा में बहुतायत है। मिथकों का इतिहास की निर्मित के लिए इस्तेमाल करना खतरे से भरे राह पर चलने जैसा था लेकिन कोसांबी ने तार्किक व्याख्याओं के आधार पर इनका विश्लेषण करते हुए ऐतिहासिक स्रोत बना लिया। भारतीय इतिहास के क्षेत्र में यह सर्वथा नवीन प्रयोग था। वैसे भी मानव जाति के ज्ञात इतिहास से और पीछे की ओर झांकने के लिए मिथक से बेहतर कोई उपकरण नहीं। अपने इस विश्लेषण के आधार पर उन्होंने 'मिथक और यथार्थ' जैसी महत्त्वपूर्ण किताब लिखी। इस किताब को लिखने के लिए उन्हें एक लंबा वैचारिक सफर तय करना पड़ा। इतिहास लेखन के इस पक्ष को हम उनकी मृत्यु से 4 वर्ष पूर्व प्रकाशित जिस महत्वपूर्ण किताब में सर्वाधिक मुखर होता पाते हैं, वह यही किताब है। आज 31 जुलाई को डी. डी.  कोसांबी  के जन...

शर्मिला जालान का आलेख 'जवाहर गोयल : एक मर्मज्ञ कवि का अविस्मरणीय रचना संसार'

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  जवाहर गोयल साहित्य का संसार व्यापक है। इस संसार में एक साथ तमाम लोग लिख रहे होते हैं। कुछ रचनाकार जीते जी वह ख्याति अर्जित कर लेते हैं जो स्वप्न सरीखा होता है तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी रचनाकार होते हैं जो बेहतर लिखने के बावजूद गुमनामी की चादर में खोए रहते हैं। ऐसा ही एक नाम है जवाहर गोयल का। हालांकि  जवाहर गोयल ने मूल रूप से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई की, लेकिन उनकी अभिरुचि साहित्य में थी।  उन्होंने कई विधाओं में लेखन किया। इस क्रम में उन्होंने कहानी, संस्मरण, कला समीक्षा और कविताएँ लिखीं, चित्र बनाए, लेकिन वे खुद को प्रमुख रूप से कवि ही मानते थे। आज  30 जुलाई को मर्मज्ञ कवि और समर्थ गद्यकार श्री जवाहर गोयल जी की जयंती है। इस अवसर पर उनके व्यक्तित्व और साहित्यिक अवदान पर शर्मिला जालान ने एक परिचयात्मक आलेख लिखा  है। कम चर्चित रचनाकारों को रेखांकित करने और प्रकाश में लाने का सराहनीय कार्य शर्मिला ने किया है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं शर्मिला जालान का आलेख 'जवाहर गोयल : एक मर्मज्ञ कवि का अविस्मरणीय रचना संसार'। स्मृति : जवाहर गोयल (जन्म : 30 जुला...

ममता जयंत की कविताएं

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  ममता जयंत  परिचय:  नाम - ममता जयंत  शिक्षा - परास्नातक इतिहास, बी.एड. लेखन व प्रकाशन  प्रकाशित पुस्तक- 'मनुष्य न कहना' शीर्षक से एक काव्य संग्रह प्रकाशित। [वर्ष - 2024. हिन्दी अकादमी दिल्ली के प्रोत्साहन से] विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं व ब्लॉग में नियमित रूप से आलोचनात्मक लेख व कविताएँ प्रकाशित। अनुवाद: कविताएँ अंग्रेजी, उर्दू, मराठी और नेपाली में अनूदित शिक्षा जगत में भूमिका :  उत्तर प्रदेश शैक्षिक दूरदर्शन पर प्रसारण हेतु ई-एजूकेशन के तहत शैक्षिक विडियो निर्माण।  सम्प्रति - शिक्षक  बेटियां जितने बेहतर तरीके से अपने पिता और घर परिवार का ध्यान रखती हैं उतना आमतौर पर बेटे नहीं रख पाते। बेटी की समय पर शादी कर उसकी विदाई करना हर पिता की एक चाहत और जिम्मेदारी भी होती है। वह समाज की बुरी नजरों से अपनी बेटी को बचाना चाहता है। इसके लिए वह बेटी को अपनी तरह से नियंत्रित संचालित करना चाहता है जबकि बेटी अपनी राह चलना चाहती है। यही पर पिता पुत्री के विचारों के बीच   एक टकराहट होती है। अलग बात है कि अधिकांश मामलों में बेटी के सामने समर्पण करन...