भरत प्रसाद


शेक्सपियर


चित्र- शेक्सपियर, (गूगल से साभार)  


काल और प्रेम

(अनुवाद - नगेन्द्र)


वज्र धातु हो या प्रस्तर हो या दुर्दम सागर, .
ये हैं नतसिर सभी सामने क्रूर काल के .
तो कैसे वह रूप सहेगा उस प्रहार को ?
जिसका लघु अस्तित्व फूल सा मृदु -कोमल है.
मधु-वासंती वात आह,
कैसे झेलेगी ? बर्फीली ऋतुवों के ध्वंसक आघातों को?
जब अभेद्य चट्टान वज्रद्दृढ लौह द्वार ये.
होते विवश विलीन काल के खर प्रवाह में ?
कैसे रक्षित रह पायेगा बंद काल की मंजूषा में.
यह अमूल्य वरदान प्रकृति का दिव्य रत्न यह ?
उसके बढ़ते कदम कौन कब रोक सकेगा
- मधुर रूप का नाश क्रूर उसके हाथों से ?
केवल एक उपाय,
अमिट लिपि में अंकित वह,
 मेरे निश्छल अमर प्रेम का मोहक जादू. 

(सौजन्य - विश्व काव्य चयनिका, संपादन- नगेन्द्र, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली) 





गोएथे






चित्र- गोएथे, (गूगल से साभार)



पता नहीं प्यार तुम्हें है या नहीं



पता नहीं प्यार मुझे है या नहीं,
देख लूँ पर तुम्हारा चेहरा कहीं,
आँखों में     झाँकूँ एक बार भरपूर,
हो जाय इस दिल का सारा दुःख दूर,
कैसा यह सुख,
जाने ईश्वर वही;
पता नहीं प्यार मुझे है या नहीं

(सौजन्य- पुस्तक: पता है तुम्हें उस देश का, संपादन- उज्ज्वल भट्टाचार्य,  वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली.)





(चयन एवं प्रस्तुति - भरत प्रसाद)

टिप्पणियाँ

  1. शेक्सपीयर का सॉनेट अद्भुत है, और अनुवाद ग़ज़ब का है. प्रवाहमय. दर असल वैसा ही प्रवाह जैसा मूल में होता है. गोएथे का असमंजस भरा प्यार वह भाव नहीं जगा पाता जो उनकी अन्य कविताओं में सहज ही मिल जाता है. बहरहाल, दोनों रचनाओं के लिए आभार. अनुवादक तक बधाई जरूर पहुन्चादें

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  2. प्रेमाभिव्यक्ति में शेक्सपिएर बजी मर ले गए है .उनके छंद में ब्रजभाषा के कवित्त जैसा आनंद आता है .बधाई/ अनुवादक को भी --जीवन सिंह

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  3. Only creative people know the method of preserving beauty because they have got mighty pen and noble thoughts. In this sequence Bard of Avon comes first who saved rose like spoiling beauty from the brutal clutches of mercy-killing time, its matchless creation whose height can’t be taken by scientific instrument, that’s why James Joyce says “after the god Shakespeare created most”
    DHRUVA HARSH

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