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राकेश मिश्र की कविताएं

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  राकेश मिश्र  राजा अपने आप में ही एक निर्मम शब्द है। राज पद को पाने से ले कर इसे बचाए रखने की जुगत में राजा कुछ भी कर सकता है। पहले इस राज पद को देवत्व प्रदान कर लोगों को मूर्ख बनाने का प्रयास किया जाता था आजकल इसकी जगह 'लाभ' ने ले ली है। इस लाभ का जाल जंजाल कुछ इस तरह का होता है कि इससे पार पाना आसान नहीं। अब राजा शब्द ने भी समय को देखते हुए अपना शाब्दिक चेहरा बदल लिया है और आजकल यह कहीं राष्ट्रपति तो कहीं प्रधानमंत्री के चेहरे में तब्दील हो गया है। इनके इर्द गिर्द सरंजाम वही हैं जो पहले कभी हुआ करते थे। राजा की हुकूमत उसके समर्थकों और लाभार्थियों से पूरी हो जाती है। इसके बावजूद जो दायरे में नहीं आते उन्हें राजा दायरे में समेटने के लिए सारे जोर जुगत लगा डालता है। कवि राकेश मिश्र की नजर इस राजा पर रही है। वे खुद भी एक प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते इससे बखूबी वाकिफ हैं। आज पहली बार पर हम राकेश मिश्र की कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं। कवि की कविताओं पर टिप्पणी की है चर्चित आलोचक अजय तिवारी ने। इस पोस्ट का संयोजन कवि केशव तिवारी का है। विडम्बना की दृष्टि  राकेश मिश्र की कविताएँ  टि

अवनीश यादव की कविता 'गांधी को देखते हुए'

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  गांधी जी केवल एक राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि सही मायनों में एक महात्मा भी थे। गुरुदेव ने उन्हें यह उपाधि यूं ही नहीं दी थी। वैचारिक भिन्नताओं के बावजूद गांधी और टैगोर एक दूसरे का सम्मान किया करते थे।  भारतीय भाषाओं के साहित्य में जिस राजनीतिज्ञ का सर्वाधिक प्रभाव दिखाई पड़ता है वह महात्मा गांधी ही हैं। दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के कुछ ही वर्ष बीते थे कि गांधी साहित्यकारों के रचनाओं के विषय बनने लगे। हिन्दी भाषा के साहित्यकार एक लम्बे समय तक गांधी जी के जीवन और विचारों से प्रभावित रहे। गांधी फिल्मकारों के लिए विषय तो हैं ही, आज के भी कवियों, कहानीकारों और उपन्यासकारों के लिए आदर्श नायक हैं। बढ़ते कट्टरतावाद के इस त्रासद समय में यह हमारे लिए एक बड़ी आश्वस्ति है। युवा कवि अवनीश यादव ने गांधी जी पर एक कविता लिखी है। अवनीश ने अपनी कविताओं के माध्यम से ध्यान आकृष्ट किया है। गांधी जयंती पर प्रस्तुति के क्रम में आज पहली बार पर हम प्रस्तुत कर रहे हैं अवनीश यादव की कविता 'गांधी को देखते हुए'। 'गांधी को देखते हुए' अवनीश यादव     भर नज़र से देखिए  आपादमस्तक गांधी को  झुका सिर  वि

शिवदयाल का आलेख 'हिन्दी साहित्य में गाँधी जी की अनुगूँज'

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  गांधी जी भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में एक नए स्वर और अंदाज के साथ प्रवेश करते हैं। यह अहिंसा का स्वर था जिसे अभी तक की परम्परा में धार्मिक एवम दार्शनिक स्वरूप में ही कल्पित किया गया था और नैतिकता के धरातल पर लोगों से इसका पालन करने की अपेक्षा की जाती थी। राजनीति में इसका प्रयोग सर्वथा नया तो था ही इसके अपने तमाम जोखिम भी थे। गांधी जी इस बात से अनजान नहीं थे। जोखिम होने के बावजूद उन्होंने यह रास्ता अपनाया। कंटकाकीर्ण राह होने के बावजूद वे इस राह पर चलते रहे और अन्ततः सफल हुए। गांधी जी ने अपने विचारों से साहित्य और संस्कृति को भी काफी हद तक प्रभावित किया। गांधी जी साहित्य के पात्र बनने लगे। लोकगीतों में गांधी जी को अवतारी पुरुष के रूप में रेखांकित किया जाने लगा। वे चित्रकारों की कूचियों से हो कर कला में उतरने लगे। कला और साहित्य का विश्वास बिरले लोग ही जीत पाते हैं। गांधी जी बिरले ही तो थे। आज दुनिया एक बार फिर से युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। रूस यूक्रेन युद्ध और इजरायल फिलिस्तीन युद्ध ने संकट को कुछ अधिक ही बढ़ा दिया है। ऐसे में गांधी जी की याद आना स्वाभाविक है। आज जयंती के अवसर पर गांध

हीरा लाल पर स्मृति सभा : एक रपट

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हीरा लाल  हीरा लाल सच्चे मायनों में आधुनिक चमक दमक से दूर अपने समय के एक महत्त्वपूर्ण कवि थे। ऐसा कवि जो आजीवन आत्ममुग्धता से कोसो दूर रहा। ऐसा कवि जिसकी साधारणता ही अपने आप में असाधारण थी। ऐसा कवि जो इस भीषण समय में भी खुद को गर्व के साथ कबीर का गोती कहा करता था। हीरा लाल खुद को परिदृश्य से बाहर रखने में माहिर थे। लेकिन जहां जरूरी होता था वहां सबको स्तब्ध करते हुए अपनी आवाज मुखरता के साथ उठाते थे। हीरा लाल जी के जीवट के हम सब कायल थे। उन्होंने जिंदगी भर प्रयोग किए। प्रयोग अपने रोजी रोजगार के साथ, प्रयोग अपनी कविता के साथ, प्रयोग अपने जीवन के साथ। ऊपरी तौर पर भले ही उनके प्रयोग असफल रहे हों, लेकिन मनुष्य के तौर पर वे जरूर सफल रहे। यह मनुष्यता ऐसी थी कि वे किसी को भी नाहक डिस्टर्ब करना नहीं चाहते थे। और आखिर एक दिन वे इतने चुपके से चले गए कि किसी को थोड़ी भी आहट न हुई। उनके निधन के लगभग सात आठ महीने पश्चात हम यह जान पाए कि हीरा लाल जी अब हमारे बीच नहीं हैं। अपने प्रिय कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इलाहाबाद का समूचा साहित्यिक समुदाय  29 सितंबर 2024 की शाम स्तब्धता और भीगी आँखों क