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नवमीत नव का आलेख 'जीवन का विकास'

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पृथ्वी पर जीवन का विकास कोई चमत्कार नहीं बल्कि क्रमिक घटनाओं के चलते हुए परिस्थितिजन्य विकास का परिणाम था। यह जीवन सरलता से जटिलता की तरफ की एक दिलचस्प यात्रा है। पृथ्वी पर जीवन के विकास पर  नवमीत नव लिखते हैं " यह एक रोचक कहानी है लेकिन इसकी कोई स्क्रिप्ट या पूर्वनिर्धारित योजना नहीं थी। न ही कोई अलौकिक या अप्राकृतिक रचयिता ने इसको गढ़ा था।" गतिशील पदार्थ था और लगातार विकसित होती हुई प्रकृति थी। और थे प्रकृति के नियम। वे नियम जो पदार्थ के मूलभूत गुण यानी उसकी गतिशीलता में निहित थे।" नवमीत ने बड़े रोचक और सहज तरीके से पृथ्वी पर जीवन की पहेली को सुलझाने का प्रयास किया है। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  नवमीत नव का आलेख 'जीवन का विकास'। 'जीवन का विकास' नवमीत नव यह सब शुरू हुआ था बिग बैंग से। बिग बैंग के साथ स्पेस टाइम और पदार्थ, जिस रूप में हम इसे समझते हैं या कहें कि समझने की कोशिश कर रहे हैं, के वर्तमान स्वरूप की शुरुआत हुई थी। यूनिवर्स का उद्विकास हुआ।  क्वार्क्स, सब एटॉमिक कण, एटम्स, मॉलिक्यूल्स, सितारे, सुपरनोवा, ब्लैक होल्स, ग्रह, उल्काएं, उपग्रह,...

रवि नन्दन सिंह का आलेख ’सर्वोदय’ को पढ़ते हुए

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किताबों ने इस दुनिया को बदलने में प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं। थॉमस पेन द्वारा लिखी गई किताब 'कॉमन सेंस' (Common Sense) ने  अमरीकी क्रांतिकारियों को आजादी प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने में अग्रणी भूमिका निभाई। नपोलियन बोनापार्ट ने अपने वक्तव्य में यह बात कही कि अगर रूसो न हुआ होता तो फ्रांसीसी क्रान्ति नहीं हुई होती। ज्ञातव्य है कि रूसो की 'सोशल कांट्रेक्ट' नामक किताब को क्रांतिकारी हमेशा अपने पास रखते थे। इसी क्रम में जॉन रस्किन की किताब 'अनटू दिस लास्ट: का नाम लिया जा सकता है जिसने गांधी जी के जीवन को ही बदल कर रख दिया। रस्किन की इस किताब से गांधी जी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसका गुजराती में अनुवाद 'सर्वोदय' नाम से। कर दिया। सर्वोदय का मतलब होता है सबका उदय अथवा सबका विकास। 'सर्वोदय' ऐसे वर्गविहीन, जातिविहीन और शोषणमुक्त समाज की स्थापना करना चाहता है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति और समूह को अपने सर्वांगीण विकास का साधन और अवसर मिले। रवि नंदन सिंह लिखते हैं "रस्किन की पुस्तक 'अनटू दिस लास्ट' के चारों निबंध प्रथम बार 1860 ई. में लंदन के...

सेवाराम त्रिपाठी का आलेख 'महात्मा गाँधी : मूल्यों की संघर्ष कथा'

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  गांधी जी ऐसे व्यक्तित्व हैं, जो अपनी मृत्यु के पश्चात कुछ और ही प्रासंगिक होते गए हैं। केवल भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक संदर्भों में भी गांधी जी जीवन्त हैं। लेकिन दुखद पहलू यह है कि हम उनके दिखाए रास्ते पर नहीं चल पाए। देश में भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार चरम पर है। आज उनके कसीदे काढ़े जा रहे हैं जिन्होंने गांधी की हत्या कर दी थी। पहले गांधी जी की हत्या की गई अब उनके विचारों की हत्या करने की पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं। यह भयावह है। लेकिन दुनिया में जब तक असमानता है, ऊंच नीच की भावना है, निरंकुशवाद है, भ्रष्टाचार है, तब तक गांधी की उपादेयता बनी रहेगी। महात्मा गाँधी के जज्बे को उनके इस कथन से बेहतर समझा जा सकता है ' मौत के बीच ज़िंदगी अपना संघर्ष जारी रखती है। असत्य के बीच सत्य भी अटल खड़ा रहता है। चारों ओर अंधेरे के बीच रौशनी चमकती रहती है।' सेवाराम त्रिपाठी उचित ही लिखते हैं " प्रासंगिकता तो बहुत घिसा-पिटा शब्द  हो चुका है। प्रासंगिकता हत्यारे की भी सिद्ध की जा सकती है और सिद्ध भी कर दी गई। इस दौर में हत्यारों, अपराधियों, तड़ीपारों, झुट्ठों और गारंटीवीरों की प्रासंगिकता ...

इस्मत चुग़ताई की कहानी 'जड़ें'

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  इस्मत चुग़ताई किसी भी पेड़ का तना, डालियां, पत्तियां, फूल और फल अपनी जड़ों को कहां भूल पाते हैं। जड़ों से ही उनके अस्तित्व की तस्वीर बनती है। लेकिन भारत के विभाजन के समय सब कुछ बेमानी हो गया। लोग अपनी जड़ों को छोड़ कर ऐसे मुल्क की तरफ निकल पड़े, जो कहने के लिए तो उनका था, लेकिन विडंबना की बात यह कि वहां उनको जानने पहचानने वाला कोई नहीं था। विश्व इतिहास का सबसे भयावह खून खराबा हुआ और एक नया मुल्क पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर नुमाया हुआ। कहते हैं इतिहास जहां चुप्पी साध लेता है, साहित्य वहां से आगे बोलना शुरू कर देता है। भारत विभाजन के वे वाकए जो इतिहास में दर्ज नहीं हो पाए, वे साहित्य में दर्ज हैं। इस्मत चुग़ताई की कहानी जड़ें बेजोड़ कहानी है जिसमें बंटवारे की अनुगूंज स्पष्ट सुनी जा सकती है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं इस्मत चुग़ताई की कहानी 'जड़ें'।   'जड़ें' इस्मत चुग़ताई सब के चेहरे फ़क़ थे घर में खाना भी न पका था। आज छठां रोज़ था। बच्चे स्कूल छोड़े घरों में बैठे अपनी और सारे घर वालों की ज़िंदगी वबाल किए दे रहे थे। वही मार-कुटाई, धौल-धप्पा, वही उधम और क़लाबाज़ियाँ जैसे 15 ...