श्रीप्रकाश मिश्र का संस्मरण 'हीरालाल को जैसा मैंने देखा-जाना'
आज के ही दिन ठीक एक साल पहले कवि हीरा लाल का निधन हो गया। विडम्बना की बात यह थी कि इलाहाबाद के साहित्यिक समाज को उनके निधन की भनक तक नहीं लगी। सात सितम्बर 2024 को जब उनके मोबाइल पर फोन किया तो एक परिजन ने उनके गुजर जाने की सूचना दी। तब हमने फेसबुक पर उनके निधन की जानकारी दी। सहजता हीरा लाल की पद्धति थी जिसे उन्होंने न केवल अपने जीवन में समाहित किया अपितु उसे अपनी रचनाओं में भी ढाला। इस तरह की सहजता अर्जित की जाती है। श्रीप्रकाश मिश्र ने अपनी पत्रिका 'उन्नयन' में हीरा लाल की कविताएं सबसे पहले प्रकाशित की। इसके बाद साहित्यिक समाज उन्हें एक कवि के रूप में अच्छी तरह जानने पहचानने लगा। आगे चल कर दूधनाथ सिंह के प्रयासों से उनका पहला और एक मात्र संग्रह 'कस में हीरालाल' साहित्य भण्डार इलाहाबाद से प्रकाशित हुआ। श्रीप्रकाश मिश्र ने हीरालाल के निधन के पश्चात फेसबुक पर सिलसिलेवार संस्मरण लिखे। इस संस्मरण के जरिए हम हीरा लाल के जीवन संघर्ष को अच्छी तरह समझ सकते हैं। टुकड़े-टुकड़े में लिखे गए उन सभी संस्मरणों को एकबद्ध कर समूचे संस्मरण के रूप में हम प्रस्तुत कर रहे हैं।...