दिव्या विजय के कहानी संग्रह ‘अलगोज़े की धुन पर’ की देवेश पथ सारिया द्वारा की गयी समीक्षा 'प्रेम के परिपक्व रंगों की कहानियां'
 
  दिव्या विजय        देवेश पथ सारिया कवि होने  के साथ साथ के एक सजग पाठक भी हैं। उनकी नजरें अपने समय की नई एवम  महत्त्वपूर्ण कृतियों पर रहती है। हाल ही में उन्होंने कहानीकार दिव्या  विजय के पहले कहानी संग्रह ' अलगोंजे की धुन पर ' को पढ़ कर अपनी एक पाठकीय  प्रतिक्रिया हमें लिख भेजी है। हम इस प्रतिक्रिया को समीक्षा के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। आज पहली बार पर प्रस्तुत है देवेश पथसारिया  की समीक्षा ' प्रेम के परिपक्व रंगों की कहानियाँ ' ।                                          प्रेम के परिपक्व रंगों की कहानियां   देवेश पथ सारिया         अभी किंडल पर दिव्या विजय का पहला कहानी संग्रह  ‘ अलगोज़े की धुन पर ’  पढ़ कर समाप्त किया।   समकालीन हिंदी कहानी का गम्भीरतापूर्वक अध्ययन मैंने साल भर पहले आरम्भ किया। इसलिए अपने लिखे को समीक्षा न   मान कर मैं पाठकीय टिप्पणी कहना पसंद क...