कैलाश बनवासी की कहानी 'काका के जीवन की एक घटना'

कैलाश बनवासी अभी तक धैर्य, अनुशासन, सहनशीलता और दूसरों का सम्मान जीवन के मूल्य माने जाते थे। समाज में लोगों से इसकी अपेक्षा की जाती थी और प्रायः इसके इर्द गिर्द ही समाज चलता रहता था। लेकिन समय बदला। सोच बदली। और इसके साथ जीवन के प्रतिमान भी बदल गए। अब किसी के पास धैर्य नहीं है। अनुशासन को ताक पर रख दिया गया है। सहनशीलता अतीत की बात हो गई और इसकी जगह हिंसा प्रतिहिंसा ने ले ली है। और सम्मान की तो पूछिए ही मत। साहित्य प्रायः अपने समय को प्रतिबिंबित करता है। कैलाश बनवासी की कहानी 'काका के जीवन की एक घटना' हमारे समय और समाज की सोच को बारीकी से उद्घाटित करती है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं कैलाश बनवासी की कहानी 'काका के जीवन की एक घटना'। 'काका के जीवन की एक घटना' कैलाश बनवासी खोली का माहौल अतिशय गंभीर था। उस खोली में, जहां मैं पिछले तीन साल से कॉलेज की अपनी पढाई पूर...