नरेश सक्सेना से उमाकांत की बातचीत
 
           मुक्तिबोध ने हिंदी कविता की संरचना और विचार  को तोड दिया था     महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ,  वर्धा में 12 मई 2012  को  शोधार्थी उमाकांत ने अभी हाल ही में कवि नरेश सक्सेना से एक साक्षात्कार लिया था. यह साक्षात्कार बहुवचन के संयुक्तांक ३३-३४ में प्रकाशित हुआ है. इसे हम पहली बार के पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.                       उमाकांत - नरेश जी ,  आप पिछले पांच दशक से कविता लिख रहे हैं ,  आपकी पहली कविता 1958 में छपी थी ,  पर कविता लिखने का प्रारंभ कैसे हुआ ,  उसकी पृष्ठभूमि क्या थी ?    नरेश सक्सेना-  मैं ग्वालियर में पैदा हुआ. उस समय ग्वालियर में वीरेंद्र मिश्र ,  आनंद मिश्र ,    ‘ चंचल ’,  मुकुट बिहारी सरोज और हिंदी के उस समय के तमाम प्रतिष्ठित गीतकार थे. शिव मंगल सिंह सुमन भी ग्वालियर के थे. ग्वालियर गीतों का और मंच का एक बहुत बडा शहर था. बडे प्रभावशाली ढंग से ये   अपनी कविताओं का पाठ करते थे.  मैं हाईस्कूल में था ,  1953-54 में. मैं नीचे बैठ क...