विनोद मिश्र की कविताएं

विनोद मिश्र कविता के मूल में कवि की वह घनीभूत संवेदना होती है जो संघर्ष से उपजती है। आज के कठिन समय ने जीवन को दुष्कर बना डाला है। इस दुष्करता ने लगभग सबके सामने अवसाद की स्थितियां उत्पन्न कर दी हैं। विनोद मिश्र ऐसे ही युवा कवि हैं जिन्होंने उस अवसाद को कविता की पंक्तियों में ढाला है जो जीवन के साथ नाभिनालबद्ध हो गया है। छोटे छोटे टुकड़ों में रची गई ये कविताएं हमारे समय की कड़वी सच्चाई को उकेर कर रख देती हैं। वरिष्ठ कवि नसीर अहमद सिकंदर विनोद मिश्र की कविताओं की तहकीकात करते हुए लिखते हैं - 'विनोद मिश्र एक ऐसे भी कवि हैं जो अपनी कविता में सामाजिक-राजनैतिक परिदृश्य के घटनाक्रम को केन्द्र में रख कर भारतीय राष्ट्र की संवैधानिक व धर्म निरपेक्ष व्यााख्या करते हैं तथा राजनैतिक विसंगतियों-विडम्बनाओं को भी निडरता के साथ उकेरने से भी नहीं चूकते।' हर महीने के दूसरे रविवार को हम 'वाचन पुनर्वाचन' शृंखला प्रकाशित करते हैं। 'वाचन पुनर्वाचन' शृंखला की चौदहवीं कड़ी के अन्तर्गत हम इस बार विनोद मिश्र की कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं। इस शृंखला में अब तक आप प्रज्वल चतुर्वेदी, प...