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राहुल सांकृत्यायन का आलेख 'मैं कहानी लेखक कैसे बना?'

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  राहुल सांकृत्यायन राहुल  सांकृत्यायन ने अपनी जिंदगी में प्रचुर मात्रा में लेखन कार्य किया। धर्म, दर्शन, लोक साहित्य, यात्रा सहित्य, इतिहास, राजनीति, जीवनी, कोष के साथ साथ प्राचीन ग्रंथो का संपादन कर उन्होंने विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किया। उनकी रचनाओं में प्राचीन के प्रति आस्था, इतिहास के प्रति गौरव और वर्तमान के प्रति सधी हुई दृष्टि का बेहतर समन्वय दिखाई पड़ता है। यह केवल राहुल जी थे, जिन्होंने प्राचीन और वर्तमान भारतीय साहित्य चिंतन को पूर्ण रूप से आत्मसात् कर मौलिक दृष्टि देने का प्रयास किया। उनके उपन्यास और कहानियाँ बिल्कुल नए दृष्टिकोण को हमारे सामने रखते हैं। इसीलिए राहुल जी को 'महापंडित' की उपाधि भी दी जाती है। किसी भी लेखक की रचना प्रक्रिया को जानना दिलचस्प होता है। राहुल जी ने खुद अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए एक लेख लिखा  'मैं कहानी लेखक कैसे बना?' आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं राहुल सांकृत्यायन का आलेख 'मैं कहानी लेखक कैसे बना?' 'मैं कहानी लेखक कैसे बना?' राहुल सांकृत्यायन कहानी लेखक क्या, लेखक भी मैं कैसे बना, इसे कहना मे...

कैलाश मनहर की कविताएं

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कैलाश मनहर                           सत्ता का अपना एक अलग चरित्र होता है। इसका नैतिकता से कुछ भी लेना देना नहीं होता। सत्ताधीश अपनी कुर्सी बचाने के लिए हमेशा प्रयत्न करते रहते हैं। इस क्रम में वे अपने लोगों को उपकृत करने का कार्य करते हैं। अलग बात है कि उपकृत करने का यह कार्य भी नैतिकता के बाने में ही करना पड़ता है। इसी क्रम में कैलाश मनहर 'संस्कारवान बलात्कारी' जैसी महत्त्वपूर्ण कविता लिखते हैं। कविता में मनहर जी लिखते हैं कि सरकार आजादी के अमृत महोत्सव पर कुछ उन कैदियों की सजा को माफ करने की घोषणा करती है जिनके संस्कार अच्छे रहे हैं। और उन्हें छोड़ भी दिया जाता है। अब एक सवाल तो उठता ही है कि बलात्कार जैसा कुकृत्य करने वाले क्या संस्कारवान भी हो सकते हैं। लेकिन सत्ता का यही तो दम खम है कि वह दिन को रात और रात को दिन बना सकती है। मनहर जी की कविताएं गहरे मूल्य बोध वाली कविताएं हैं। उनमें एक प्रबल विडम्बना बोध भी है। सहज भाव में कहने की कला इन कविताओं को और प्रभावी बनाती है। राजनीति की विद्रूपता को जिस तरह से वे रेखांकित कर...

भरत प्रसाद के उपन्यास पर सुनील कुमार शर्मा की समीक्षा 'छात्र राजनीति की निस्सारता'

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  कम रचनाकार ही ऐसे होते हैं जो एक साथ साहित्य की विविध विधाओं में एक साथ साधिकार लेखन करते हैं। भरत प्रसाद ऐसे ही रचनाकार हैं जिन्होंने की विविध विधाओं में स्तरीय लेखन किया है। कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, संस्मरण जैसी विधाओं में वे लगातार आवाजाही करते रहे हैं। हाल ही में उनका एक नया उपन्यास 'काकुलम' प्रकाशित हुआ है। इस उपन्यास की एक समीक्षा लिखी है कवि आलोचक सुनील कुमार शर्मा ने। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं भरत प्रसाद के उपन्यास काकुलम पर सुनील कुमार शर्मा द्वारा लिखी गई  समीक्षा 'छात्र राजनीति की निस्सारता' । 'छात्र राजनीति की निस्सारता'                                                             सुनील कुमार शर्मा                           कोई भी साहित्यिक कृति सामजिक जीवन से अलग हो कर सार्थक नहीं बन सकती। साहित्यकार की निजी विचारधारा सामाजिक परिव...

विंध्य मैकल साहित्योत्सव कविता-कला अंतर्संवाद यात्रा 2024 की एक स्मृति, प्रस्तुति : केतन यादव

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  कला के विविध क्षेत्रों में बातचीत और विमर्श की बड़ी उपादेयता होती है। साहित्य में इस विमर्श की भूमिका कुछ अधिक ही होती है। इसके मद्देनजर समय समय पर विविध आयोजन होते रहते हैं। इसी क्रम में हाल ही में विंध्य मैकल साहित्योत्सव कविता-कला अंतर्संवाद यात्रा 2024 का आयोजन किया गया। इस आयोजन में इलाहाबाद के युवा कवि केतन यादव भी शामिल हुए। केतन ने इस आयोजन की एक स्मृतिपरक रपट और कुछ तस्वीरें पहली बार को उपलब्ध कराई है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  विंध्य मैकल साहित्योत्सव कविता-कला अंतर्संवाद यात्रा 2024 की एक स्मृति पर एक रपट। इसकी प्रस्तुति युवा कवि केतन यादव की है। विंध्य मैकल साहित्योत्सव कविता-कला अंतर्संवाद यात्रा 2024 की स्मृतियों से  प्रस्तुति : केतन यादव यह बहुत अलग तरह का आयोजन था। आदिवासी संस्कृति से संबंधित किसी भी प्रस्तुति को कभी प्रदर्शनी में ही देखा रहा होऊंगा पर इस आयोजन के कारण पहली बार उनके बीच रहने खाने और‌ जानने को मिला। इस यात्रा ने जंगल और जंगल की संस्कृति से जुड़े लोगों के पास आने का अवसर दिया। बहुत सारे फेसबुक से जुड़े साहित्यिक मित्र...