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पंकज पराशर का आलेख 'अरथ अमित अरू आखर थोरे'

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  (नरेश सक्सेना) नरेश सक्सेना हमारे समय के ऐसे कवि हैं जिन्होंने अत्यंत कम लिख कर भी कविता के परिदृश्य में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई है। उनका पहला संग्रह 'समुद्र पर हो रही है बारिश' काफी चर्चा में रहा था। अभी-अभी भारतीय ज्ञानपीठ से उनका दूसरा कविता संग्रह 'सुनो चारुशीला' प्रकाशित हुआ है। इस महत्वपूर्ण संग्रह पर युवा आलोचक पंकज पराशर ने बड़ी बारीकी से निगाह डाली है। इसी क्रम में हम प्रस्तुत कर रहे हैं 'सुनो चारुशीला' पर पंकज का समीक्षात्मक आलेख।       'अरथ अमित अरू आखर थोरे' पंकज पराशर आचार्य रामचंद्र शुक्ल  ने अपने सुप्रसिद्ध निबंध  ‘ कविता क्या है? ’ में लिखा है, ‘ज्यों-ज्यों हमारी वृत्तियों पर सभ्यता के नये-नये आवरण चढ़ते जायेंगे त्यों-त्यों एक ओर तो कविता की आवश्यकता बढ़ती जाएगी, दूसरी ओर कवि कर्म कठिन हो जाएगा।’ मनुष्य की वृत्तियों पर सभ्यता के नये-नये आवरण आज इस कदर चढ़ गए हैं कि कविताओं की बढ़ती संख्या के बीच ‘शुद्ध कविता की खोज’ करना बहुत श्रमसाध्य कार्य हो गया है। हिंदी काव्य-आलोचना में...

संतोष अलेक्स की कविताएं

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संतोष अलेक्स मूलतः मलयाली भाषी हैं लेकिन मलयालम के साथ-साथ इन्होने हिन्दी में भी अच्छी कवितायें लिखी हैं. इनकी कविता इस मामले में थोड़ी अलग है कि इसमें हम एक अलग स्थानीयता के साथ-साथ अलग आबो-हवा का भी साक्षात्कार करते है. संतोष अलेक्स की कविताएं आप पहले भी 'पहली बार' पर पढ़ चुके हैं. दैनिक जागरण, दस्तावेज, अलाव, वागर्थ, रू, जनपथ, लमही, अभिनव प्रसंगवश, मार्गदर्शक जैसी पत्र-पत्रिकाओं में संतोष की कविताओं का प्रकाशन हो चुका है. आईये एक बार फिर हम आपकों रू-ब-रू कराते हैं संतोष की कविताओं से।  वह जिसने फूलों से प्यार किया उसे जब फूलों के आत्महत्या की खबर मिली तो उसने यह खबर स्कूल के छात्रों को कालेज के छात्रों को मूंगफली बेचते बच्चों को ट्रैफिक पुलिस को गुब्बारे बेचेने वाले बालक को प्रेमी व प्रेमिका को कार पार्क कर शापिंग मॉल की ओर जा रहे दंपत्तियों को दी किसी ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी मेरे आने के बाद ही आत्महत्या करना फूलों से ऐसा कह कर वह चला गया दूसरे दिन सुबह उसके घर की ओर उमड रही भीड में फूल भी शामिल हो गए  ...

कविता

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जन्म   :  15 अगस्त, मुजफ्फरपुर (बिहार) शिक्षा   :  एम. ए. (हिन्दी) प्रकाशन  :  मेरी नाप के कपड़े, उलटबांसी, नदी जो अब भी बहती है (कहानी संग्रह)  मेरा पता कोई और है (उपन्यास) संपादन -संयोजन :   मैं हंस नहीं पढ़ता, वह सुबह कभी तो आयेगी (लेख), जवाब दो विक्रमादित्य (साक्षात्कार), अब वे वहां नहीं रहते (राजेन्द्र यादव का मोहन राकेश, कमलेश्वर और नामवर सिंह के साथ पत्र-व्यवहार) पुरस्कार :   ‘मेरी नाप के कपड़े’ कहानी के लिये अमृत लाल नागर कहानी     प्रतियोगिता पुरस्कार अनुवाद  :  चर्चित कहानी ‘उलटबांसी’ का अंग्रेज़ी अनुवाद जुबान द्वारा प्रकाशित संकलन ‘हर पीस ऑफ स्काई’ में शामिल; कुछ कहानियां अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित संप्रति   :  स्वतंत्र लेखन कविता ने नए कहानीकारों में अपने शिल्प और कथ्य के दम पर अपनी सुस्थापित जगह बना ली है। उनकी कहानियां जीवन के उन कोनो-अंतरों में झाकने का प्रयास करती हैं, जहां आमतौर पर कहानीकार जान...