बुद्धदेव दास गुप्ता से विनोद दास की बातचीत – ‘मुझे एक बहुलार्थी फ्रेम का संयोजन अधिक सार्थक लगता है’।

Buddhadeb Dasgupta प्रख्यात फिल्मकार बुद्धदेव दास गुप्ता का विगत 10 जून 2021 को निधन हो गया । बुद्धदेव दास गुप्ता फिल्म निर्देशक के साथ-साथ एक बेहतरीन कवि भी रहे हैं । उनके फिल्मों पर कविता का प्रभाव स्पष्ट रुप से महसूस किया जा सकता है। काव्यात्मक प्रवाह की वजह से उनकी फिल्में बिल्कुल अलग धरातल पर खडा दिखायी पडती हैं। कवि आलोचक विनोद दास ने एक बार उनसे विस्तृत बातचीत की थी , जो वागर्थ में प्रकाशित भी हुई। आइए आज पहली बार पर पढते हैं बुद्धदेव दास गुप्ता से विनोद दास की बातचीत – ‘ मुझे एक बहुलार्थी फ्रेम का संयोजन अधिक सार्थक लगता है ’ । बुद्धदेव दास गुप्ता से विनोद दास की बातचीत मुझे एक बहुलार्थी फ्रेम का संयोजन अधिक सार्थक लगता है यह कहा जाता है कि फिल्म के प्राण पटकथा में बसते हैं। आप अपनी फिल्म की पटकथा प्रायः स्वयं लिखते रहे हैं। क्या आप पटकथा लिखने की अपनी प्रक्रिया बताना चाहेंगे ? उत्तर : सिनेमा मेरे लिए एक खोज या तलाश है...