कैलाश बनवासी की कहानी 'बड़ी ख़बर'

कैलाश बनवासी हमारे देश में आज चारो तरफ एक अजीब सा मंजर है । मीडिया, कभी जिसकी जिम्मेदारी एक सजग-सतर्क प्रहरी की हुआ करती थी, वह अब पूरी तरह चापलूसी की भाषा में हमेशा नत दिखाई पड़ रहा है । टी. वी. चैनलों के एंकर सत्ता वर्ग की मंशा के अनुरूप ही बड़ी निर्लज्जता और समूची विद्रूपता के साथ अपनी एकतरफा खबरें, अपने अनर्गल राय के साथ परोसते हैं । ऐसे में दो छोटे-छोटे बच्चों के खेल और उनके खिलंदडेपन की तरफ कथाकार का ध्यान अनायास ही जाता है जो अपने पिता के साथ घूमने के अंदाज में बैंक में आ गए हैं और खेलकूद में मशगूल हैं । इस समूची कहानी की पृष्ठभूमि में ये दोनों बच्चे ही हैं । उनका खेलना कहानीकार को सबसे बड़ी नेमत लगता है । कैलाश बनवासी ने बड़ी साफगोई से अपनी बात कहानी में रख दी है । तथाकथित 'बड़ी खबरें' दिन-रात अपने समूचे बौनेपन के साथ चलती रहती हैं जबकि वास्तविक और जरुरी खबरें प्रायः ही अनदेखी और उपेक्षित रह जाती हैं । आज पहली बार पर प्रस्तुत है कैलाश बनवासी की नयी कहानी - 'बड़ी खबर' । बड़ी ख़बर कैलाश बनवासी ...