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भगवानदास मोरवाल के उपन्यास के विमोचन की एक रपट

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भगवान दास मोरवाल हमारे समय के ऐसे लेखक हैं जिन्हें उनके लेखन से अलग से पहचाना जा सकता है । 'काला पहाड़' उपन्यास से ख्याति पाने वाले मोरवाल जी का अभी हाल ही में नया उपन्यास छप कर आया है  ‘नरक मसीहा’ नाम से । हाल ही में इस उपन्यास का विमोचन पटना पुस्तक मेले में हुआ । इस विमोचन की एक रपट पहली बार के लिए लिख भेजा है मित्र अरुण नारायण ने । आइए पढ़ते हैं यह रपट ।      शहजोर कलम के धनी हैं भगवानदास मोरवाल :  नंदकिशोर नवल ‘किसी भी कथाकार की ताकत इस बात में निहित होती है कि उसकी कथा की संरचना कैसी है, वह लेखक दृश्य चित्रण में सफल है या नहीं। तीसरी बात कि वह संवाद प्रेषण में किस हद तक पटु है। ये तीनों ही विशेषताएं भगवानदास मोरवाल के उपन्यास ‘नरक मसीहा’ में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँची हुई हैं। मोरवाल की कलम में बहुत ताकत है, बहुत शहजोर कलम है इनकी।’ उक्त बातें हिंदी के प्रख्यात काव्यालोचक श्री नंद किशोर नवल ने पटना पुस्तक मेले में भगवानदास मोरवाल के नए उपन्यास ‘नरक मसीहा’ के लोकार्पण समारोह के अपने अध्यक्षीय संबोधन में कही। मेले के मुख्य मंच से गत 14 नंबर को सा...

राजीव आनंद का आलेख 'डॉ. हरिवंश राय बच्चन: भारत के बेमिसाल व सर्वाधिक लोकप्रिय कवि'

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  हरिवंश राय बच्चन आज 27 नवंबर प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन की 107वीं जयंती है । इस अवसर विशेष पर पहली बार के लिए  एक आलेख लिख भेजा है मित्र राजीव आनन्द ने । तो आइए पढ़ते हैं यह आलेख  डॉ. हरिवंश राय बच्चन: भारत के बेमिसाल व सर्वाधिक लोकप्रिय कवि राजीव आनंद  डॉ.  हरिवंश राय बच्चन का परिचय बहुत ही मुख्तसर सा है जो वे खुद दिया करते थे कि   ‘‘मिट्टी का तन, मस्ती का मन,  क्षण भर जीवन, मेरा परिचय । ’’     छायावाद के प्रखर और आधुनिक प्रगतिवाद के मुख्य स्तम्भ माने जाने वाले डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी-एच. डी. की डिग्री डब्ल्यू. बी. यीट्स के कार्यों पर शोध कर प्राप्त किया था । यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे पहले भारतीय थे । अंग्रेजी साहित्य में पी-एच. डी. की उपाधि लेने के बाद उन्होंने हिन्दी को भारतीय जन की आत्मभाषा मानते हुए हिन्दी क्षेत्र में साहित्य सर्जन का महत्वपूर्ण फैसला लिया तथा आजीवन हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में लगे रहे । कैम्ब्रिज से लौटने के बाद डॉ. बच्चन आकाशवाणी के इलाहाबाद क...