वंदना शर्मा

कविता की दुनिया में वंदना शर्मा एक सुपरिचित नाम है. वंदना शर्मा की कविताएँ अपने अलग तेवर और शिल्प के चलते सहज ही पहचान में आ जाती हैं. वे ‘ कहने के असीम साहस के साथ ’ अपनी बातें रखती हैं और अपनी कविताओं में स्त्री समाज की विडंबनाओं को इस बेबाकी से उजागर करती हैं कि वे महज स्त्री समाज की विडम्बना या समस्या न हो कर पूरे शोषित-दमित समाज की समस्या बन जाती है. कहना न होगा कि आज भी स्त्रियाँ दमितों में दमित और शोषित हैं. आखिर क्यों ऐसा होता है कि स्त्री कुछ बोले, विद्रोह करे तो बेलगाम कह दी जाती है. आखिर एक लडकी के व्यक्तित्व को किन-किन प्रतिमानों द्वारा कब तक तौला जायेगा. शरीर की नाप-तौल, रंग, रसोई, ड्राईंग रूम, डिग्री. क्या-क्या प्रतिमान होंगे उसे मापने जांचने के? क्या यह समाज का दोयमपना नहीं. लड़कों यानी पुरुषों के लिए दुनिया की सारी बेहिसाब छूटें और लड़कियों के लिए जगत के सारे बंधन. यह कहाँ का न्याय है, कैसा समाज है जो अपने को आधुनिक कहते-कहलाते नहीं अघाता. लेकिन अपना सामंती व्यवहार किसी कीमत पर छोडना नहीं चाहता. क्या स्त्री का का अपना व्यक्तित्व ही उसे बताने के लिए काफी नहीं? वं...