संदेश

हिमांशु शेखर

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हिमांशु शेखर शिक्षा का गिरता स्तर कौन हैं जिम्मेदार पंद्रह अगस्त 1947 को भारत को मिली आजादी में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि, वास्तविक शिक्षा वह है जिससे व्यक्ति के चरित्र का निर्माण हो। किन्तु, आजादी के 31 साल बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को यह स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि हमारी वर्तमान शिक्षापद्धति चरित्र निर्माण में सहायक नहीं साबित हो रही है। आज जब आजादी के इतने साल होने को हैं तो वर्तमान हालात को देखते हुए गांधी की बात की चर्चा तक अप्रासंगिक सी प्रतीत हो रही है। क्योंकि तथाकथित आधुनिकता के इस दौर में चरित्र निर्माण के बजाए जोर उच्छृंखलता पर है। बहरहाल, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आजादी के बाद वाले सालों में देश के शैक्षणिक परिदृश्य में व्यापक बदलाव हुए हैं। पर कहा जाए तो शिक्षा का उद्देश्य ही बदल गया है। पूंजीवाद के मौजूदा दौर में शिक्षा का उद्देश्य भी अधिक से अधिक धन अर्जित करना हो गया है। अगर प्रगति का पैमाना इसे ही माना जाए तो सचमुच देश ने काफी तरक्की की है। इसके अलावा देश में करोड़...

बलभद्र

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अंटका  में पड़ल वसंत गाँव के गाँव  सरसों  के पियर-पियर फूलन से घेरा गईल बा. हरियर हरियर के  ऊपर -ऊपर पियर-पियर. एह दूनो  रंग के ई आपसी   संजोग दूसर कौनो मौसम में  ना मिली. ई हरियर आ पियर   ऊपर से नइखे टपकल, बलुक धरती के भीतर  से  निकलल बा. अपने आप नाहीं.  कुछे दिन पहिले   त धेला धमानी  रहे . एक रंग माटी के रंग. आ आज अनेक रंग, आ अनेक के ऊपर सरसों के रंगीनी. माटी  में आदमी आपन परान बो के साकार करेला अइसन रंग. कवनो खेत में  गेहूँ, कवनो में  जौव  , कवनो में तीसी, बूंट, मटर, कवनो-कवनो में. आ सब में  सरसों टपका-टपका. कवनो-कवनो में खाली सरसों. तब...

विमलेश त्रिपाठी

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  विमलेश का जन्म 7 अप्रैल १९७७ को  बिहार के बक्सर जिले के हरनाथपुर नामक गाँव में हुआ.प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही । प्रेसिडेंसी कॉलेज से स्नातकोत्तर, कलकत्ता विश्वविद्यालय में शोधरत। “हम बचे रहेंगे” कविता संग्रह नयी किताब, दिल्ली से शीघ्र प्रकाश्य। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, समीक्षा, लेख आदि का प्रकाशन। “हम बचे रहेंगे” कविता संग्रह नयी किताब, दिल्ली से शीघ्र प्रकाश्य।कहानी संग्रह 'अधूरे अंत की शुरूआत' पर युवा ज्ञानपीठ नवलेखन, 2010 पुरस्कार. 2004-5 के वागर्थ के नवलेखन अंक में प्रकाशित ‘अधूरे अंत की शुरूआत’ और ‘परदे के इधर-उधर’ और 2010 में नया ज्ञानोदय में प्रकाशित कहानी ‘चिंदी-चिंदी कथा’ विशेष तौर पर चर्चित। परमाणु ऊर्जा विभाग के एक यूनिट में कार्यरत। विमलेश आज के उन कुछ विरल रचनाकारों में से हैं जिनका कविता के साथ-साथ कहानी विधा पर भी समान अधिकार है. समवेदनाओ से पुरमपूर भरा यह कवि, बेबाकी से यह कहने में नहीं हिचकता कि वह अपने गाँव के खेतों से शब्दों को लेता है. विमलेश के देशज शब्दों से इस बात की तस्दीक जा सकती है कि वह अपने लोक ...

रमाकान्त द्विवेदी 'रमता'

थाती में आज प्रस्तुत है जन कवि रमाकान्त द्विवेदी 'रमता जी' की दो कविताएं. जो अन्ना आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य में समीचीन हैं.     रमाकान्त  द्विवेदी  'रमता' हमनी साथी हईं हमनी देशवा के नया रचवइया हई जा. हमनी साथी हईं, आपस में भईया हईं  जा हमनी हई जा जवान,  राहे  चली सीना तान  हमनी जुलुमिन से पंजा लड़वईया हईं जा  सगरे हमनी के दल, गाँव नगर हलचल  हमनी  चुन चुन कुचाल मेटवइया हईं जा  झंडा हमनी के लाल  तीनो काल में कमाल   सारे  झंडा  ऊपर  झंडा उड़वइया   हईं जा  बहे कइसनो बयार नईया होइये जाई पार  हमनी देशवा के नईया खेवइया हईं जा.     ०१-०५-१९८५ रउरा  नेता भईलीं रउरा  नेता  भइलीं , सेने ...

प्रणय कृष्ण

(भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन पर प्रणय कृष्ण की लेखमाला की आख़िरी किस्त) प्रणय कृष्ण यह जनता की जीत है It is not enough to be electors only. It is necessary to be law-makers; otherwise those who can be law-makers will be the masters of those who can only be electors." -Dr.Ambedkar ( "महज मतदाता होना पर्याप्त नहीं है. कानून-निर्माता होना ज़रूरी है, अन्यथा जो लोग कानून-निर्माता हो सकते हैं, वे उन लोगों के मालिक बन बैठेंगें जो कि महज चुननेवाले हो सकते हैं." -डा. अम्बेडकर) अन्ना ने आज अनशन तोड़ दिया... चुनने वालों ने कानून-निर्माताओं को बता दिया कि न तो वे सदा के लिए महज चुनने वाले बने रहेंगे और न ही कानून-निर्माताओं को अपना मालिक बनने देंगे. सिटिज़न चार्टर, प्रदेशों में लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान और निचली ब्यूरोक्रेसी की जांच, निरीक्षण और सज़ा को लोकपाल के दायरे में लाने की बात सिद्धांत रूप में संसद ने मानकर एक हद तक अपनी इज़्ज़त बचाई है. वोट अगर 184 के तहत होता, तो इनके लिए इज़्ज़त बचाना और भी मुश्किल होता. साफ़ पता चल जाता कि कौन कहां है. क्रास-वोटिंग भी ह...

संतोष कुमार चतुर्वेदी

 मित्रो, अपनी एक तरोताजी रचना के साथ मैं आपसे मुखातिब हूँ. कविता कैसी बन पडी है  इस पर आप  के बेबाक सुझावों की हमें उत्सुकता से प्रतीक्षा रहेगी.  संतोष कुमार चतुर्वेदी  घड़ी बहुत जिद्दी है मेरी घड़ी  चाहे जितनी बार मिलाओ इसे किसी दूसरी  घड़ी आकाशवाणी या दूरदर्शन के समय से हर बार यह अपना रूतबा दिखलाएगी अपना ही राग अलापेगी  जिसके मुताबिक खुलते और बंद हुआ करते हैं दफ्तर देश  भर के     उस सरकारी राष्ट्रीय मानक समय को मुंह  बिराती है कुछ मिनट आगे रह कर  महत्वाकांक्षाओं से कुछ फर्लांग पीछे  अपनी आकांक्षाओं में  मस्त-व्यस्त रहती है यह जिद्दी घडी   कल जिस समय सूर्य ने  अंगड़ाई ली कल जिस समय आसमान की छत पर  चाँद चहलकदमी कर रहा  था और  सितारों के दिए जलने शुरू हुए  आज ठीक उसी  वक्त पर ऐसा नहीं होगा गोया हर वक्त दुनिया का निखालिस अनोखा वक्त  एक-एक आदमी के चेहरे और स्वभाव की ही तरह  अपने आप में अनूठा अमूल्य...

प्रणय कृष्ण

प्रणय कृष्ण अन्ना,अरुंधती एवं देश        (पेश है, अन्ना हजारे की अगुवाई में चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन पर अभी चल रही बहस को समेटता यह प्रणय कृष्ण के लेखमाला की यह दूसरी किस्त) आज अन्ना के अनशन का आठवाँ दिन है. उनकी तबियत बिगड़ी है. प्रधानमंत्री का ख़त अन्ना को पहुंचा है. अब वे जन लोकपाल को संसदीय समिति के सामने रखने को तैयार हैं. प्रणव मुखर्जी से अन्ना की टीम की वार्ता चल रही है. सोनिया-राहुल आदि के हस्तक्षेप का एक स्वांग घट रहा है जिसमें कांग्रेस, चिदंबरम, सिब्बल आदि से भिन्न आवाज में बोलते हुए गांधी परिवार के बहाने संकट से उबरने की कोशिश कर रही है. आखिर उसे भी चिंता है क़ि जिस जन लोकपाल के प्रावधानों के खिलाफ कांग्रेस और भाजपा दोनों का रवैया एक है, उस पर चले जनांदोलन का फायदा कहीं भाजपा को न मिल जाय. ऐसे में कांग्रेस ने सोनिया-राहुल को इस तरह सामने रखा है मानो वे नैतिकता के उच्च आसन से इसका समाधान कर देंगे और सारी गड़बड़ मानो सोनिया की अनुपस्थिति के कारण हुई. इस कांग्रेसी रणनीति से संभव है क़ि कोई समझौता हो जाए और कांग्रेस, भाजपा...